विधानसभा चुनाव की घोषणा से मात्र दो-तीन माह पूर्व झारखंड सरकार के द्वारा कैलेंडर का छपवाना पूरे झारखंड में चर्चा का विषय बना हुआ है.
विपक्ष का आरोप है कि झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है, ऐसे में झारखंड विधानसभा चुनाव के आचार संहिता लगने के चंद दिनों पूर्व झारखंड सरकार के जनसंपर्क विभाग के द्वारा कैलेंडर का प्रिंट कराया जाना सरकारी राशि का सिर्फ दुरुपयोग मात्र है.
विपक्ष का कहना है कि वर्ष 2023 के दिसंबर माह में प्रकाशित किया जाने वाला सरकारी कैलेंडर, झारखंड सरकार के द्वारा जुलाई 2024 में प्रकाशित किया जाना हास्यप्रद है.
ज्ञात हो कि झारखंड में वर्ष 2024 में कई राजनीतिक उठा पठक एवं राजनीतिक प्रयोग हुए इसके तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री का कमान चंपई सोरेन के हाथ में सौंपा गया.
5 माह के बाद जमानत मिलने पर चंपई सोरेन को पुनः मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.
ऐसे में मुख्यमंत्री की कमान पुनः चंपई सोरेन के हाथ से निकलकर हेमंत सोरेन के हाथ में स्थानांतरित हुआ.
ज्ञात हो कि हेमंत सोरेन सरकार के द्वारा जुलाई 2024 में वर्ष 2024 का कैलेंडर प्रकाशित कर सरकारी कार्यालय में वितरीत किए जाने हेतु राज्य मुख्यालय से जिला मुख्यालय में भेजा जा रहा है l
सूत्र बताते हैं कि अगर जांच की जाए तो यह बात सामने आ सकती है की सरकारी रिकॉर्ड में दिखाए गए कैलेंडर एवं वास्तव में प्रकाशित किए गए कैलेंडर में भिन्नता हो सकती है.
विपक्ष के आरोप में कितनी सत्यता है, यह जांच का विषय है.
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