Dhaka. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद और देश छोड़ने के पांचवें दिन आंदोलनकारी छात्रों ने अब वहां के सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ओबैदुल हसन और पांच जजों को भी इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया. चीफ जस्टिस के इस्तीफे के बाद शेष पांच जज भी अपना पद छोड़ सकते हैं. ओबैदुल हसन ने कहा कि बदलती परिस्थितियों के बीच देशभर में सुप्रीम कोर्ट, हाइकोर्ट और निचली अदालतों के न्यायाधीशों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस्तीफा देने का फैसला किया है. इधर, प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि जब तक सभी छह जज इस्तीफा नहीं देते, वे सड़कें खाली नहीं करेंगे. हजारों प्रदर्शनकारी छात्रों ने शनिवार सुबह सुप्रीम कोर्ट को घेर लिया था और दोपहर एक बजे तक सभी छह न्यायाधीशों से इस्तीफे की मांग की.
प्रदर्शनकारियों ने इस्तीफे के लिए दोपहर एक बजे तक का अल्टीमेटम दिया. छात्रों ने चेतावनी दी कि अगर जजों ने इस्तीफा नहीं दिया, तो हसीना की तरह उन्हें भी कुर्सी से खींच कर उतार देंगे. प्रदर्शनकारियों ने न्यायाधीशों के आवासों को घेरने की भी धमकी दी. इसके बाद चीफ जस्टिस ने राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन से परामर्श करने के बाद अपना इस्तीफा उन्हें सौंप दिया. उनके इस्तीफे की मांग को लेकर शुक्रवार और शनिवार को अचानक से प्रदर्शन तेज हो गये थे, जिनको नयी बनी अंतरिम सरकार के कई नेताओं का समर्थन मिला. प्रदर्शनकारी छात्रों ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के जज हसीना से मिले हुए हैं.
शेख हसीना के करीबी माने जाते हैं हसन
उबैदुल हसन बीते साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे. बांग्लादेश के 24वें मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हसन को शेख हसीना के वफादार के रूप में देखा जाता था. हसन के पिता डॉक्टर अखलाकुल हुसैन अहमद बांग्लादेश की मुक्ति संग्राम में शामिल थे और संविधान सभा के सदस्य के रूप में बांग्लादेश के संविधान के निर्माण में भी उनका योगदान था. हसन भी बांग्लादेश की न्यायपालिका के जानेमाने चेहरे रहे हैं. 1986 को जिला न्यायालय के एक वकील के रूप में करियर शुरू किया था और तेजी से तरक्की की सीढ़ी चढ़ी.