- बाबा बोले-हादसे में आराजक तत्वों का हाथ, न्यायिक आयोग करेगा जांच, दो माह में देगी रिपोर्ट
लखनऊ . हाथरस के पुलरई गांव में विश्व हरि ‘भोले बाबा’ द्वारा आयोजित सत्संग के दौरान मंगलवार को मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई है. मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं हैं. हादसे के दो दिन बाद भी पुलिस बाबा तक नहीं पहुंच सकी है. अब बाबा के आठ ठिकानों पर दबिश दी गयी है, जिसमें मैनपुरी, कानपुर, हाथरस और ग्वालियर समेत आठ ठिकाने शामिल हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ ने चेतावनी दी कि हादसे के दोषियों को किसी भी हाल में बख्शेंगे नहीं. उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी पटेल के निर्देश पर राज्य सरकार ने हाथरस भगदड़ की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग गठित की. सरकारी प्रवक्ता ने प्रवक्ता ने बताया कि हाथरस भगदड़ के दोषियों का पता लगाने लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न्यायिक आयोग का गठन कर दिया है. इस आयोग को दो महीने में जांच पूरी करनी होगी.
यह कोई दुर्घटना है, अथवा कोई षडयंत्र, इस बिंदु पर भी जांच
आयोग यह भी जांच करेगा कि यह कोई दुर्घटना है, अथवा कोई षडयंत्र या अन्य कोई सुनियोजित आपराधिक घटना. जिला प्रशासन एवं पुलिस द्वारा कार्यक्रम के दौरान आई भीड़ का नियंत्रण तथा कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए किए गए प्रबंध और उससे संबंधित अन्य पहलुओं की जांच की जिम्मेदारी भी आयोग को दी गई है. आयोग उन कारणों एवं परिस्थितियों का का भी पता लगाएगा जिसके कारण उक्त घटना घटित हुई. प्रवक्ता के मुताबिक आयोग भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के संबंध में सुझाव भी देगा.
भोले बाबा के वकील का दावा- भक्त कभी उनके पैर नहीं छूते, जांच में करेंगे मदद
प्रवचनकर्ता भोले बाबा के वकील ने दावा किया कि अनुयायी कभी भी उनके पैर नहीं छूते हैं. उन्होंने हाथरस में भगदड़ के पीछे कुछ असामाजिक तत्वों का हाथ होने का संदेह जताया है. प्रवचनकर्ता भोले बाबा के वकील एपी सिंह ने कहा कि मंगलवार की भगदड़ की जांच कर रहे राज्य प्रशासन और पुलिस के साथ सहयोग करने के लिए भी वे तैयार हैं. उन्होंने पूरे मामले की जांच की मांग की है.
बाबा नारायण हरि को साकार विश्व हरि भोले बाबा के नाम से भी जाना जाता है. सिंह का यह दावा प्रारंभिक सरकारी रिपोर्ट के विपरीत है, जिसमें दावा किया गया है कि भगदड़ तब मची जब बड़ी संख्या में अनुयायी प्रवचनकर्ता भोले बाबा को करीब से देखने और उनके ‘चरण रज’इकट्ठा करने के लिए उनके पास पहुंचे जिनमें अधिकतर महिलाएं थीं.
सिंह ने दावा किया, ‘‘कुछ असामाजिक तत्वों ने साजिश रची. जब नारायण साकार हरि कार्यक्रम स्थल से चले गए, उनके वाहन चले गए, तो हमारे स्वयंसेवक और अनुयायी साजिश के कारण यह समझने में विफल रहे कि क्या हो रहा है। यह एक योजना के तहत किया गया था और इसकी जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भोले बाबा भी मंगलवार की भगदड़ की जांच कर रहे राज्य प्रशासन और पुलिस के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं और उन्होंने पूरे मामले की जांच की मांग की है.
प्राथमिकी में किए गए दावों और स्थानीय उप जिलाधिकारी द्वारा तैयार प्रारंभिक रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर उच्चतम न्यायालय के वकील सिंह ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा, ‘नारायण साकार हरि के पैर उनके अनुयायी कभी नहीं छूते. ‘चरण रज’ का उल्लेख भी झूठा है. इस तरह के कृत्य का कभी कोई वीडियो या तस्वीर नहीं है.
सिंह ने कहा कि वह बाबा भोले और सिकंदराराऊ थाना क्षेत्र के पुलराई गांव में आयोजित ‘सत्संग’ के मुख्य आयोजक का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. भगदड़ के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी में प्रवचनकर्ता का नाम आरोपी के तौर पर नहीं है.
अगले कानूनी कदम के बारे में सिंह ने कहा, ‘हम घटनास्थल का दौरा करेंगे, अन्य कारकों पर विचार करेंगे और उसके अनुसार निर्णय लेंगे. उनके (भोले बाबा) कार्यक्रमों के दौरान, नक्शे बनाए जाते हैं, अनुमति ली जाती है और पर्याप्त क्षेत्र में पर्याप्त व्यवस्था की जाती है.’ सिंह ने कहा कि भोले बाबा ने उनके सत्संग के बाद जो कुछ हुआ उसकी निंदा की है. उन्होंने दावा किया कि प्रवचनकर्ता के ‘सेवादार’ और अनुयायी भगदड़ के पीड़ितों की मदद कर रहे हैं और उन्हें भोजन और दवाइयां मुहैया करा रहे हैं.