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जमशेदपुर :सरकारी जमीन को घेरने के लिए दो राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता आमने-सामने , खून खराबा और बड़ी घटना होते-होते बचा ।

जमशेदपुर :सरकारी जमीन को घेरने के लिए दो राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता आमने-सामने , खून खराबा और बड़ी घटना होते-होते बचा ।

विगत कुछ दिन पहले ही कोल्हान के डीआईजी श्री राजीव रंजन सिंह के द्वारा मुख्य सचिव के पत्र के हवाला देते हुए सरकारी जमीन को हर हाल में अतिक्रमण मुक्त कराते हुए सुरक्षित रखने के लिए सर्किट हाउस,जमशेदपुर में बैठक किया गया था। जिसमें सभी पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया था कि सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए और सरकारी जमीन को किसी भी हाल में अतिक्रमण नहीं होने दिया जाए। यह हर हाल में सुनिश्चित होना चाहिए । जिसके बाद कई राजनीतिक दलों द्वारा एक दूसरे दल पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए सरकारी जमीन अतिक्रमण करने के मामले को उजागर किया गया ।जमशेदपुर के सिदगोड़ा थाना
अंतर्गत सिदगोड़ा संडे मार्केट के पास खाली जमीन पर
कब्ज़ा को लेकर झारखण्ड छात्र मोर्चा और भारतीय जन’
मोर्चा के कार्यकर्ता आपस में भिड़े. जिससे अफरातफरी का माहौल बन गया ।उत्त जमीन पर
झारखण्ड छात्र मोर्चा ने अपना कार्यालय बना रखा था
जिसका भारतीय जन मोर्चा के कार्यकर्ताओ ने पहुंच कर विरोध करने लगे
और जमकर बवाल काटा. हंगामे की सुचना पाकर
सिदगोड़ा पुलिस मौके पर पहुंची और कार्यालय में ताला
जड़ दिया जिसके बाद दोनों पक्षों को समझा बुझाकर
मामले को शांत कराया. वही सिदगोड़ा पुलिस ने बताया की
झारखण्ड छात्र मोर्चा द्वारा अतिक्रमण कर कार्यालय का
निर्माण कार्य चल रहा था. जिसका भारतीय जन मोर्चा के
कार्यकर्ताओ ने विरोध करने पहुंचे थे. और दोनों पक्षों में
विवाद शुरू हो गया. वही उन्होंने कहा की मामले के
सम्बन्ध में जाँच की जा रही है. जाँच के उपरांत रिपोर्ट
एसडीओ को सौंप दिया जायेगा. यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि कई विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा सरकारी जमीन अतिक्रमण कर अपना कार्यालय किया गया है वहीं भू माफिया सरकारी जमीन को अतिक्रमण कर सांठगांठ कर बड़े पैमाने पर खरीद-फरोख्त कर रहे हैं जिसे अंकुश लगा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी प्रतीत हो रहा है। वही किसी सूरज प्रकाश
ठाकुर नामक व्यक्ति ने जमीन पर अपनी दावेदारी पेश
करते हुए कहा की जमीन उनके दादाजी के नाम पर है और
वे इस जमीन पर कई सालो से झोपडी बनाकर रह रहा है। देखना यह है कि अब इस मामले में राजनीतिक रंग को किस रूप में प्रशासन और कितनी गंभीरता से लेता है
ए के मिश्र

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