Ranchi. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने वेतनमान निर्धारित करने व योगदान की तिथि को दुरुस्त करने से संबंधित दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. प्रार्थी व प्रतिवादी का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने अवमानना याचिका को ड्रॉप कर दिया. साथ ही प्रार्थी को छूट दी कि वह आदेश लेकर सक्षम प्राधिकार के समक्ष जा सकता है. अदालत के पूर्व के आदेश के आलोक में कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा के रजिस्ट्रार सुनवाई के दाैरान सशरीर उपस्थित थे. उनकी ओर से अधिवक्ता डॉ अशोक कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि प्रार्थी के अभ्यावेदन के आलोक में कोल्हान विश्वविद्यालय ने मामले में सकारण आदेश पारित कर दिया है. इस आदेश में प्रार्थी के क्लेम को सही नहीं माना गया है तथा राज्य सरकार द्वारा निर्धारित प्रार्थी के वेतनमान को सही बताया गया है. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजेश कुमार ने पैरवी की.
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सुरेश चंद्र महापात्र ने अवमानना याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश का अनुपालन कराने की मांग की थी. एकल पीठ ने प्रार्थी के मामले में कोल्हान विश्वविद्यालय को सकारण आदेश पारित करने का आदेश दिया था, लेकिन आदेश का पालन नहीं किया गया. प्रार्थी ने जमशेदपुर स्थित वीमेंस कॉलेज में लैब ब्वॉय के पद पर योगदान किया था. प्रार्थी का वेतनमान 2550-3200 रुपये राज्य सरकार की ओर से निर्धारित किया गया था, जबकि प्रार्थी का कहना था कि उसका वेतनमान 2650-4000 रुपये होना चाहिए था. वहीं योगदान की तिथि 29 दिसंबर 2003 के बजाय तीन दिसंबर 1982 होना चाहिए था.