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Kolkata Doctor Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता पुलिस को फटकारा, कहा, मामला दर्ज करने में देरी ‘बेहद व्यथित करने वाली’ है

New Delhi. सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को सख्त लहजे में कहा कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला चिकित्सक से कथित तौर पर बलात्कार एवं उसकी हत्या के संबंध में अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में कोलकाता पुलिस की देरी ‘बेहद व्यथित करने वाली’ है। न्यायालय ने साथ ही बंगाल के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं के अवरुद्ध होने के 14वें दिन प्रदर्शनकारी चिकित्सकों से काम पर लौटने का आग्रह किया.
न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों को देशभर में स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश देते हुए, कोलकाता की घटना में प्राथमिकी दर्ज करने में 14 घंटे की देरी और इसके पीछे के कारणों पर सवाल उठाए.

चिकित्सक की मौत के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने चिकित्सकों की सुरक्षा, प्रदर्शनकारियों के अधिकारों और पश्चिम बंगाल सरकार की जिम्मेदारियों से संबंधित कई निर्देश जारी किए। पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे.

पीठ ने पूछा, ‘आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य के संपर्क में कौन था? उन्होंने प्राथमिकी दर्ज कराने में देरी क्यों की? इसका क्या मकसद था?’ इस बीच, मामले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बृहस्पतिवार को पूर्व प्राचार्य संदीप घोष और चार अन्य चिकित्सकों की ‘पॉलीग्राफ’ जांच कराने की अनुमति मांगी.

पीठ ने कहा, ‘ऐसा कैसे हुआ कि पोस्टमार्टम नौ अगस्त को शाम छह बजकर 10 मिनट पर किया गया, लेकिन अप्राकृतिक मौत की सूचना ताला पुलिस थाने को नौ अगस्त को रात साढ़े 11 बजे भेजी गई. यह बेहद परेशान करने वाली बात है.’ इसने घटना के बारे में पहली प्रविष्टि दर्ज करने वाले कोलकाता पुलिस के अधिकारी को अगली सुनवाई में पेश होने और प्रविष्ठि दर्ज करने का समय बताने का निर्देश दिया गया.

पीठ ने कहा कि कोलकाता की घटना के संबंध में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा बाधित नहीं किया जाएगा. अदालत ने हालांकि स्पष्ट किया कि उसने राज्य सरकार को वैध शक्तियों का इस्तेमाल करने से नहीं रोका है. न्यायालय ने कहा, ‘जब हम कहते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को परेशान नहीं किया जाएगा, तो इससे हमारा मतलब यह भी है कि उचित प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा.’इसने कहा कि प्रदर्शनकारी चिकित्सकों के खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाएगी.

अदालत ने इस घटना का राजनीतिकरण करने को लेकर राजनीतिक दलों को भी आगाह किया और जोर देकर कहा कि ‘‘कानून अपना काम करेगा. पीठ ने कहा, ‘इस माहौल का राजनीतिकरण न करें. सभी दलों को यह समझना होगा कि कानून अपना काम करेगा. हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि त्वरित जांच के बाद कानून अपना काम करे.’ सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने न्यायालय की टिप्पणियों का स्वागत किया, खासकर मामले का राजनीतिकरण न करने के निर्देश का.
कोलकाता के अस्पताल के संगोष्ठी कक्ष में नौ अगस्त को परास्नातक प्रशिक्षु महिला चिकित्सक का शव बरामद किया गया था जिसके साथ कथित तौर पर दुष्कर्म किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई. इस मामले में अगले दिन कोलकाता पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया और कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 13 अगस्त को मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था, जिसके बाद एजेंसी ने 14 अगस्त को अपनी जांच शुरू की.

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