जमशेदपुर:-/ अधिकारी,जनप्रतिनिधि एवं चाणक्य समझे जाने वाले नेतागण, अपने करीबियों को लीक से हटकर नामांकन के लिए निजी विद्यालय प्रबंधन से सहयोग मांगते दिखेंगे तो ऐसे में शोषित एवं लाचार अभिभावक का हक की बात की कल्पना करना भी बेमानी होगी l यह बात पूर्वी सिंहभूम जिले की लाचार जनता बताते हैं l उनका मानना है कि रक्षक वर्ग या यूं कहें कि अधिकारी, कुछ जनप्रतिनिधि एवं नेता अपने करीबियों को येन- केन -प्रकारेण, निजी विद्यालय में नामांकन के लिए प्रयासरत रहते हैं l ऐसे में निजी विद्यालय प्रबंधन द्वारा अभिभावकों को , आर्थिक शोषण से बचा पाना नामुमकिन है l विद्यालय प्रबंधन भी अभिभावकों कि शिकायत एवं कानूनी समस्या से राहत पाने के लिए ऐसे चंद लोगों पर मेहरबानी भी दिखा है l ज्ञात हो कि जमशेदपुर के कई निजी विद्यालय में आरटीई का अनुपालन नहीं हो रहा है l स्कूल प्रबंधन खुलेआम स्कूल कैंपस में अपने चहेते पुस्तक विक्रेताओं से ऊंचे मूल्य पर किताब कॉपी बिकवा रहे हैं, कई स्कूल प्रबंधन किताब-कॉपी के अलावा स्कूल ड्रेस, जूता एवं अन्य सामग्री भी निर्धारित दुकान से खरीदने को अभिभावकों को बाध्य कर रहे हैं l यह सब बात जिले के बड़े अधिकारी से लेकर निचले स्तर के अधिकारी एवं एवं आम नागरिक को भी है ,ऐसे में लाचार ,निरीह जनता सब कुछ जानते हुए भी सरकारी अधिकारी एवं राजनेताओं पर आशा भरी निगाह से देखते हैं पर अपने करीबियों के नामांकन की लाचारी से जनता को कोई सहारा नहीं मिल पाता है l
ज्ञात हो कि कंजूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत किसी भी अभिभावक को स्कूल प्रबंधन द्वारा किसी भी एक चिन्हित दुकानदार से किताब- कॉपी, स्कूल ड्रेस एवं जूता इत्यादि खरीदने को बाध्य नहीं किया जा सकता है l ऐसे मामलों में जिला प्रशासन निजी विद्यालय प्रबंधन के खिलाफ कंजूमर प्रोटेक्शन कानून का हवाला देते हुए इस प्रकार के व्यवसाय को रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए ताकि गरीब, निरीह अभिभावक आर्थिक नुकसान से खुद को बचा सकेl
बीते दिनों कई निजी विद्यालय प्रबंधन ने करुणा अवधि में सरकारी आदेश के विपरीत ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस भी वसूलने में सफल रहे है एवं कुछ वसूलने का प्रयास कर रहे हैं एवं कई स्कूल प्रबंधन ने तो लॉटरी के माध्यम से चयनित छोटे बच्चों की स्कूल फीस भी मनमाने ढंग से बढ़ा दिया है ,जबकि निजी स्कूल प्रबंधन को फीस बढ़ाने से पूर्व जिला स्तरीय कमेटी से अनुमति लेनी आवश्यक है l पर जब अधिकारी ,जनप्रतिनिधि एवं नेतागण ही अपनों का नामांकन एवं अन्य सुविधा चाहेंगे, ऐसी परिस्थिति में लाचार, निरीह जनता को न्याय कौन दिलाएगा ? यक्ष प्रश्न बना हुआ है l