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बंगाल : चिकित्सकों के सामूहिक इस्तीफे को सरकार ने किया खारिज, व्यक्तिगत रूप से इस्तीफा देना ही मान्य

कोलकाता. आरजी कर मेडिकल कॉलेज के 50 वरिष्ठ डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे को राज्य सरकार ने खारिज करते हुए कहा है कि ‘सामूहिक इस्तीफा’ को मान्य नहीं माना जाएगा। शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार अलापन बंद्योपाध्याय ने कहा कि इस्तीफे का प्रावधान केवल व्यक्तिगत रूप से है, न कि सामूहिक रूप से। उन्होंने कहा, “प्रत्येक मामले में नियमों के अनुसार व्यक्तिगत इस्तीफा ही मान्य होता है। सरकार इस मुद्दे पर फैली भ्रांतियों को दूर करना चाहती है। अब तक विभिन्न स्थानों से इन इस्तीफों के बिखरे हुए पत्र जमा किए गए हैं, लेकिन उन्हें औपचारिक रूप से स्वीकृत नहीं माना जाएगा।”

इससे पहले, जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन के समर्थन में कई सरकारी अस्पतालों के वरिष्ठ डॉक्टरों ने ‘सामूहिक इस्तीफा’ देने का फैसला किया था। हालांकि, अलापन ने कहा कि अब तक लगभग 200 डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे के पत्र जमा हुए हैं, लेकिन यह प्रक्रिया सेवा नियमों के अनुरूप नहीं है।

दरअसल आरजी कर मेडिकल कॉलेज से शुरू हुई इस्तीफों की यह लहर अब कोलकाता के अन्य अस्पतालों और जिलों तक फैल गई है। कोलकाता मेडिकल कॉलेज, नेशनल मेडिकल कॉलेज, एसएसकेएम, सागर दत्ता मेडिकल कॉलेज और एनआरएस अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टरों ने भी सामूहिक इस्तीफा देने का निर्णय लिया है। बुधवार को उत्तरबंग मेडिकल कॉलेज के 50 से अधिक डॉक्टरों ने भी सामूहिक इस्तीफे की घोषणा की थी।

डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे से कई तरह के सवाल उठने लगे थे। इस स्थिति को देखते हुए आठ अक्टूबर को राज्य सचिवालय नवान्न में मुख्य सचिव मनोज पंत और स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम ने एक बैठक की। बैठक के बाद मुख्य सचिव ने कहा, “हमने मीडिया के माध्यम से सामूहिक इस्तीफों की खबरें सुनी हैं, लेकिन अब तक कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है।”

नवान्न के सूत्रों के अनुसार, सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने के लिए तय प्रक्रियाओं का पालन करना जरूरी है। बिना इन प्रक्रियाओं के पालन के इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जा सकता।

इसी बीच, जूनियर डॉक्टरों का अनशन शनिवार को आठवें दिन में प्रवेश कर गया है। डॉक्टर अस्पतालों में सुरक्षा और अन्य बुनियादी ढांचे को लेकर 10 सूत्री मांगों पर अड़े हुए हैं। बुधवार को सरकार ने आंदोलनकारियों के साथ बैठक की, लेकिन जूनियर डॉक्टरों ने इसे विफल बताया और कहा कि सरकार सिर्फ मौखिक आश्वासन दे रही है।

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