- रत्न भंडार 46 वर्षों के बाद रविवार को पुनः खोला गया था
भुवनेश्वर. ओडिशा सरकार ने कहा कि वह इस बात की जांच करेगी कि 14 जुलाई को पुरी में 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के खजाने रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष के ताले नकली चाबियों से क्यों नहीं खुल पाए. रत्न भंडार को 46 वर्षों के बाद रविवार को बहुमूल्य वस्तुओं की सूची बनाने और इसकी संरचना की मरम्मत के लिए पुनः खोला गया.
जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने कहा था कि एक विशेष समिति के सदस्यों ने खजाने के भीतरी कक्ष के दरवाजों पर लगे तीन तालों को खोलने की कोशिश की, लेकिन उनमें एक एक पुरी जिला प्रशासन के पास उपलब्ध दो नकली चाबियों से नहीं खुल पाया. कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि पिछली बीजू जनता दल (बीजद) सरकार के दौरान रत्न भंडार की नकली चाबियों की उपलब्धता को लेकर झूठ लाया गया था. इस मामले की निश्चित रूप से जांच की जाएगी. जगन्नाथ मंदिर राज्य सरकार के विधि विभाग के अधीन है.
हरिचंदन ने कहा कि नकली चाबियों के बारे में किसने कहा था और किसके निर्देश पर ऐसा किया गया, इसकी भी जांच की जाएगी. चार अप्रैल 2018 को सरकार ने रत्न भंडार को भौतिक जांच के लिए फिर से खोलने का प्रयास किया था, लेकिन चाबियां न मिलने के कारण यह प्रयास असफल रहा. कुछ दिनों बाद सरकार ने कहा था कि नकली चाबियां मिल गई हैं.मंत्री ने कहा कि यदि किसी ने कभी भगवान जगन्नाथ के आभूषणों को छुआ होगा तो उसे निश्चित रूप से परिणाम भुगतने होंगे. हरिचंदन ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि ऐसी घटना नहीं हुई होगी. सूची तैयार होने के बाद ही हमें इस बारे में स्पष्ट जानकारी मिल पाएगी.