- बागबेड़ा हरहरगुट्टृू, कीताडीह, मतलाडीह के पंचायत इलाके में एक दर्जन से अधिक ठेकेदार करा रहे संचालन
- ह्यूमन राइटस एंड कंज्युमर्स प्रोटेक्शन काउंसिल उठायेगा मामला, परिवहन के लिए निगरानी तंत्र बनाने की तैयारी
जमशेदपुर. जिले में शहर से लेकर गांव तक बिना पंजीकरण के सड़कों पर ट्रैक्टर-ट्राली दौड़ाये जा रहे हैं. इसमें कई वाहनों का तो न तो फिटनेश का सर्टिफिकेशन है न ही विधिवत रूप से चालकों को लाइसेंस व अन्य कागजात का वेरीफिकेशन ही कराया जा रह है. इसका नतीजा होता है किसी बड़े हादसे की स्थिति में पीड़ित को न तो मुआवजा मिल पाता है न ही वाहन चलाने वाले ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई की जाती है. किसी तरह ले-देकर मामले का निबटारा कर दिया जाता है.
सबसे बड़ी स्थिति इन ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर काम करने वाले चालक व मजदूरों की होती है जिन्हें दिन भर काम कराने के बाद न तो न्यूनतम मजदूरी दी जाती है न ही उनके सोशल सिक्यूरिटी की कोई गारंटी ही वाहन चलवाने वाले लोग लेते है. हजारों की संख्या में ट्रैक्टर-ट्राॅलियां बेखौफ गांव से लेकर सड़क की सड़कों पर दौड़ाई जा रही जिनकी निगरानी व सुरक्षा उपायों की जांच तक नहीं करायी जा रही है. अधिकांश मामलों में ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन है भी तो ट्रॉली का निबंधन नहीं है.
एक अनुमान के अनुसार बागबेड़ा हरहरगुट्टृू, कीताडीह, मतलाडीह के पंचायत इलाके में एक दर्जन से अधिक ठेकेदार ट्रैक्टर-ट्रालियों का संचालन बिना किसी कागजात के करा रहे हैं. इनमें कुछ अपवाद जरूर हो सकते हैं लेकिन अधिकांश ट्रैक्टर-ट्रालियां बिना किसी वैद्य कागजात के संचालित की जा रही है. यहां ट्रैक्टर संचालन से जुड़े लोग मनमाना किराया तो वसूलते है लेकिन मजदूरों को न्यूज मजदूरी नहीं देते न ही महीनों उनके यहां काम करने वालों के साथ वेतन-भत्तों के लेन-देन का कोई रिकार्ड रखा जाता है. पंचायत इलाकों में कृषि कार्य के लिए निबंधित ट्रैक्टर-ट्रालियों का उपयोग कचरा, बिल्डिंग मेटेरियल समेत दूसरे सामानों का परिवहन में किया जा रहा है. पंचायत इलाके में होने के कारण डीटीओ की टीम भी इनकी निगरानी से परहेज करती है.
ट्रैक्टर के साथ ट्रॉली के पंजीकरण का है नियम
जिले में बिना पंजीकरण के सड़कों पर दौड़ रहे ट्रैक्टर-ट्रालियों पर परिवहन विभाग को सख्ती बरतने का निर्देश सरकार ने दिया है. परिवहन विभाग को ऐसे टैक्ट्रर मालिकों को चिह्नित कर कार्रवाई सुनिश्चित कराना है. राज्य स्तर से जारी कई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि जिले में ट्रैक्टर ट्रालियों का रजिस्ट्रेशन नहीं होने से सरकार को हर महीने लाखों के राजस्व का नुकसान हो रहा है. वहीं, दूसरी ओर कृषि कार्य के नाम पर भी ट्रैक्टर-ट्रालियों का उपयोग धड़ल्ले से व्यवसायिक कार्यों में किया जा रहा है. कई लोगों ने ट्रैक्टर का पंजीकरण व्यवसायिक वाहन के रूप में कराया है. जबकि ट्रॉली का पंजीकरण अब तक नहीं कराया है.
सरकार को हो रहा राजस्व का नुकसान
विभाग से बिना रजिस्ट्रेशन कराए ही ट्रैक्टर ट्राली का उपयोग ईंट, बालू, मिट्टी अन्य सामान की ढुलाई के लिए धल्लले से किया जा रहा है. इसकी वजह से सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है. कृषि कार्य के लिए विभाग में रजिस्टर्ड ज्यादातर ट्रैक्टर ट्राली पर मिट्टी-बालू ढोने से लेकर अन्य व्यवसायिक कार्यों में भी इसका उपयोग किया जा रहा है. जानकारी के अनुसार कृषि कार्य में उपयोग होने वाले ट्रैक्टर ट्राली को टैक्स मुक्त रखा गया है, लेकिन इनके मालिकों द्वारा कृषि कार्य के नाम से पंजीयन कराकर अवैध खनिज उत्खनन और माल ढोने में उपयोग किया जा रहा है.
कहते हैं जिम्मेदार : ट्रैक्टर ट्राली का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है. रजिस्ट्रेशन नहीं कराए जाने पर उन्हें जब्त किया जाएगा. इसके लिए विभाग की ओर से विशेष अभियान चलाया जाएगा.
प्रशासन के सामने उठेगा मामला
ह्यूमन राइटस एंड कंज्युमर्स प्रोटेक्शन काउंसिल बिना पंजीकरण के सड़कों पर दौड़ने वाले ट्रैक्टर-ट्राली का मामला प्रशासन के सामने उठायेगा. काउंसिल के सुनील कुमार मिश्रा ने बताया के बागबेड़ा से लेकर हरहरगुट्टू और करनडीह, रेलवे कॉलोनी क्षेत्र में ठेकेदार बिना पंजीकरण के सड़कों पर ट्रैक्टर-ट्राली का संचालन कर रहे हैं. मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी नहीं दी जा रही. निबंधन नहीं होने के कारण एक ओर सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंच रहा है तो दूसरी ओर दुर्घटना की स्थिति में मुआवज व अन्य देय राशि का भुगतान पीड़ित को नहीं मिल पायेगा. यह बड़ा मामला है.
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