सार —
‘सत्ता-प्रभुता का मोह और पद-लोलुपता ने देश के राजनीतिक वातावरण को इतना खराब और दूषित बना दिया है कि विधायकों की दृष्टि में सिद्धांत,आदर्श और नैतिकता का मूल्य-महत्व कम हो गया है”
विस्तार —
विधायकों में अवसरवादिता की भावना अधिक हो गई है,अतः जब वे देखते हैं कि दल बदल करने से उनकी स्थिति अच्छी हो सकती है,उनका प्रभाव बढ़ सकता है,उनकी आय में वृद्धि हो सकती है,वे विधायक से मंत्री,उपमंत्री या राज्य मंत्री बन सकते हैं तो उनका मन डवां डोल हो जाता है और अपना दल छोड़कर दूसरे दल में शामिल हो जाते हैंl
लेकिन कई बार पार्टी में टिकटों का बंटवारा न्यायोचित नहीं होता है,वरिष्ठ सदस्यों की उपेक्षा करने में भी गुरेज नहीं किया जाता है या यूं कहें कि दादागिरी की जाती हैlजब दल से किन्ही वरिष्ठ सदस्यों के संबंध अच्छे नहीं होते हैं तो उनका टिकट काटकर किसी दल बदलू को दे दिया जाता हैl
ऐसा ही प्रयोग भाजपा ने झारखंड में 2019 में करने का प्रयास किया था,लेकिन प्रयोग काफी विध्वंसक रहा,पार्टी सत्ता से बेदखल हो गईl
बताते चलें कि जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा से स्वच्छ छवि के कद्दावर नेता एवं सिटिंग विधायक सरयू राय को टिकट न देकर भाजपा दूसरी पार्टी के एक दल बदलू छवि के नेता को टिकट देना चाहती थीl जमीनी कार्यकर्ताओं को आहत करने वाला तानाशाही फैसले के खिलाफ आवाज़ उठने लगीl टिकट को लेकर सरयू राय और भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व में ठन गई,ऐसे में सरयू राय ने मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ ही ताल ठोक दी l श्री राय ने पूरे प्रदेश में घूम-घूम कर भाजपा के खिलाफ प्रचार कियाl इसी क्रम में पार्टी ने अपने 20 नेताओं को 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दियाl सरयू राय को टिकट नहीं देने के कारण भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता इतना नाराज हो गए कि मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने ही घर में चुनाव हार गएl पार्टी की काफी किरकिरी हुई,लेकिन भाजपा ने इस हार से सबक नहीं लियाl
इसका ज्वलंत उदाहरण है उत्तर प्रदेश में घोसी विधानसभा का उपचुनाव,जहां सपा से पाला बदलकर आए दारा सिंह चौहान को अपनों ने ही हार का रास्ता दिखा दियाl पूरी राजनीतिक ताकत और सरकारी मशीनरी झोंकने के बाद भी भाजपा चुनाव हार गईl कभी सुचिता की राजनीति करने वाली भाजपा सत्ता के मद में इतनी अंधी हो गई है कि उसे दल बदल कर आने वाले नेता की चारित्रिक छवि से नहीं बल्कि उसकी जिताऊ छवि से सरोकार रह गया हैl
दो दशक से भाजपा की राजनीति करने वाले एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि जिस दल बदलू नेता को 2019 में भाजपा जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा से टिकट देना चाहती थी उस नेता से अभी भी मोह भंग नहीं हुआ है,हो सकता है 2024 के विधानसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं की भावनाओं को दरकिनार कर उसी को टिकट पकड़ा दिया जाए,अगर ऐसा हुआ तो पार्टी की किरकिरी होना तय हैl
कई दशकों से पार्टी का झंडा ढोने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेच्छा करना भाजपा के लिए भारी पड़ सकता है,लेकिन सूत्र बताते हैं कि उक्त दलबदलू नेता को भाजपा के अति विशिष्ट नेता से आश्वासन मिल चुका है,दूसरी तरफ राजनीति के मजे हुए खिलाड़ियों का कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो सरयू राय 2024 में जमशेदपुर पश्चिम से विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं,फिलहाल वक्त बताएगा कि कौन टेंशन लेगा और कौन पेंशन लेगा?
अरविन्द