New Delhi. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अपराध कितना भी गंभीर क्यों न हो, अगर जांच एजेंसी गिरफ्तारी के दौरान सही प्रक्रिया का पालन नहीं करती है, तो आरोपी को रिहा किया जाना चाहिए. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने भूषण स्टील के मालिक नीरज सिंघल की जमानत याचिका पर अपने फैसले में यह बात कही. पीठ ने सिंघल को रिहा करने का आदेश दिया. हालांकि कोर्ट ने माना कि सिंघल पर लगे आरोप गंभीर हैं और इन आरोपों को हल्के में नहीं लिया जा सकता, क्योंकि इनसे अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है और बाजार में अस्थिरता आती है. सिंघल पर 46,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी के दौरान इडी ने सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया. गिरफ्तारी का कारण लिखित में बताना जरूरी है, पर इडी ने ऐसा नहीं किया. इसलिए सिंघल को राहत मिली. कोर्ट ने कहा कि एजेंसी भविष्य में इस गलती को नहीं दोहरायेगी. नियमों का पालन न करने पर अदालतों को सख्त होना होगा. सिंघल करीब 16 महीने से हिरासत में थे.
46,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मामले में भूषण स्टील के मालिक को रिहा करने का आदेश
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