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सरायकेला-खरसावां : जिला आपूर्ति विभाग, भ्रष्टाचारियों एवं डोरस्टेप कर्मियों के कब्जे में।

सरायकेला-खरसावां : जिला आपूर्ति विभाग भ्रष्टाचारियों एवं  डोरस्टेप कर्मियों के कब्जे में।
सरायकेला खरसावां जिले के आपूर्ति विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है ,मानो सरायकेला खरसावां के आपूर्ति विभाग में भ्रष्टाचार सर चढ़कर बोल रहा है। सरायकेला खरसावां जिले के खरसावां प्रखंड के आपूर्ति विभाग के गोदाम कौन चला रहा है ,किसके  जिम्मे में है ,गोदाम के प्रभारी कौन है , कौन गोदाम अभी खोला है, यह सवाल के जवाब मौजूद कर्मियों में से किसी के पास नहीं था ।दिन के लगभग 10:30 बजे का समय है ,अनाज के गोदाम खुला है ,गाड़ी गोदाम के सामने खड़ा है, कुछ तथाकथित कर्मचारी मौजूद हैं l संवाददाता द्वारा मौजूद कर्मियों से जानने का प्रयास किया गया की एजीएम यानी गोदाम प्रभारी और एमो कहां है? मौजूद लोगों ने कहा कि ए जी एम और एम ओ अभी नहीं आए हैं। तो सवाल उठता है कि गोदाम किसने खोला? इस सवाल के बाद मौजूद लोगों में कानाफूसी चालू हो गया। तथाकथित मौजूद कर्मी बगले झांकने लगे। मौजूद एक व्यक्ति द्वारा अकुला साव नामक व्यक्तियों के आदमियों द्वारा गोदाम खोलने की बातें बताई गई ,और अकुला साव को डूर स्टेप डिलीवरी के मुख्य व्यक्ति हैं बताया गया। जिनके द्वारा डूर स्टेप डिलीवरी के माध्यम से खदान को गोदाम से डीलरों के यहां पहुंचाया जाता है। जरा सोचिए इस तरह स्टेप कर्मियों के कब्जे में गरीबों के अनाज है। जहा गरीबों के अनाज का कालाबाजारीयों द्वारा सांठगांठ कर खुलेआम खेल खेला जाता है और गरीबों के अनाज को ऊंचे मूल्यों पर बाजारों में खुलेआम बेचा जाता है। इस पूरे प्रकरण पर संवाददाता ने जब प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी शंकर साव से बात की और सवाल किया कि गोदाम के प्रभारी कौन होते हैं ? जवाब मिला एजीएम, सवाल -चाबी किसके पास रहता है ?जवाब- एजीएम।  सवाल- एजीएम नहीं है एमो नहीं है फिर गोदाम कैसे और किसने खोला?
सकपकाते हुए प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी ने जवाब दिया कि एएजीएम जिमेवार है। वहीं इस पूरे प्रकरण पर संवाददाता ने जिला आपूर्ति पदाधिकारी से बात की तो जिला आपूर्ति पदाधिकारी द्वारा जांच कराने की बातें कही गई। जिला आपूर्ति विभाग के गोदाम अगर इसी तरह डूर स्टेप कर्मियों के कब्जे में रहा ,तो वह दिन दूर नहीं है कि गरीबों के अनाज कालाबाजारीयो, माफियाओं ,दलालों एवं पदाधिकारियों के पेट में जाता रहेगा और गरीब भुखमरी के कगार पर पहुंचते रहेंगे। जिसे रोकना विभागीय मंत्री सचिव और जिला आपूर्ति पदाधिकारी के बूते से बाहर है। वहीं इस पूरे प्रकरण में संवाददाता ने विभागीय सचिव रांची से बात करने का प्रयास किया मगर संपर्क नहीं हो पाया। देखना अब यह है कि जिला प्रशासन एवं विभागीय वरीय पदाधिकारी इसे कितना गंभीरता से लेते हैं  और खाद्यान्न माफिया  पर अंकुश लगा पाते हैं या यूं ही कालाबाजारीयो की गठजोड़ ,गरीबों के अनाज पर डाका डालते रहेगा।
ए के मिश्र

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