Ranchi. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने पथ निर्माण विभाग में कार्यरत कनीय अभियंताओं को वरीयता के आधार पर सहायक अभियंता के पद पर प्रोन्नति के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी व राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद अदालत नेे प्रार्थी कनीय अभियंताओं (जेइ) को सहायक अभियंता (एइ) के पद पर प्रोन्नति देने का आदेश दिया. हाइकोर्ट ने कहा कि जिस तिथि से वरीयता सूची में प्रार्थियों से कनीय अभियंताओं को प्रोन्नति का लाभ दिया गया है, उसी तिथि से प्रोन्नति का लाभ दिया जाये. साथ ही अदालत ने प्रार्थियों को अन्य सारे वित्तीय लाभ भी देने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि आदेश जल्द लागू किया जाये.
इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता अमरेंद्र प्रधान ने पक्ष रखा. उन्होंने अदालत को बताया कि पथ निर्माण विभाग के 18 सितंबर 2023 को प्रार्थियों की संपत्ति विवरण व सर्विस रिकॉर्ड नहीं मिलने का हवाला देते हुए उनकी प्रोन्नति के दावे को खारिज कर दिया था. विभाग ने 13 नवंबर 2019 को वरीयता सूची जारी की थी, जिसमें वह वरीयता में ऊपर थे, लेकिन उनसे कनीय को प्रोन्नति दे दी गयी, जबकि उन्हें प्रोन्नति का लाभ नहीं दिया गया. विभाग ने प्रोन्नति के मामले में दोहरा मानदंड अपना रही है. जेपीएससी की विभागीय प्रोन्नति समिति की 14 मार्च 2023 को बैठक हुई थी, जिसमें जेपीएससी ने प्रार्थियों से कनीय को प्रोन्नति देने की अनुशंसा की थी.
वरीयता सूची में कनीय अभियंताओं को सहायक अभियंता के पद पर प्रोन्नति दी गयी. इससे पूर्व भी प्रार्थियों की ओर से एक रिट याचिका दाखिल की गयी थी, जिस पर हाइकोर्ट ने आदेश दिया था कि अगर वरीयता सूची में शामिल कनीय को प्रोन्नति दी गयी है, तो आठ सप्ताह में सकारण आदेश पारित करते हुए प्रार्थियों के संबंध में निर्णय लिया जाये. उक्त आदेश के आलोक में पांच अप्रैल 2023 को प्रार्थियों द्वारा अपनी प्रोन्नति को लेकर विभाग में आवेदन दिया गया था. इनकी नियुक्ति वर्ष 2012 में पथ निर्माण विभाग में कनीय अभियंता के पद पर हुई थी. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी विक्रम मंडल, अनिल कुमार सोरेन, किशोर कुमार मुरमू, सुशील कुमार मिंज व अन्य की ओर से अलग-अलग याचिका दायर की गयी थी.