Ghatsila. घाटशिला इलाके में बाघ का खौफ अब भी बरकरार. सीमावर्ती गांवों के स्कूलों में बच्चों की उपस्थित काफी कम है. जंगल जाने वाले ग्रामीण अपने साथ लाठी-डंडा लेकर जा रहे हैं. सूचना के मुताबिक, पटमदा की गोबरघुसी पंचायत के कुकड़ू व अपो में मंगलवार की सुबह बाघ के पंजे के निशान मिले. इससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. ग्रामीण डरे-सहमे हैं. सुबह सबसे पहले कुकडु गांव के वृकोदर सबर ने पंजे के निशान को देखा, जो कुकड़ू स्कूल से मात्र 200 मीटर की दूरी पर थे.
विद्यालय के शिक्षक पंचानन महतो ग्रामीणों के आग्रह पर पंजे के निशान देखने गये एवं मामले की जानकारी फॉरेस्ट विभाग के रेंजर ऑफिसर को दी. ग्रामीणों ने आसपास जंगल में बाघ के गरजने की आवाज भी सुनी है. जानकारी मिलने पर पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) से बाघ पकड़ने की स्पेशल टीम के साथ वन विभाग के स्थानीय पदाधिकारियों ने स्थान का मुआयना किया. पंजे के निशान से इसी क्षेत्र में बाघ होने की पुष्टि की. इसके बाद आसपास जंगल में कई जगह कैमरे लगाये गये हैं. वन विभाग के पदाधिकारियों ने ग्रामीणों को जंगल में जाने से मना कर दिया है. बताया जाता है कि दिन में रहने के बाद बाघ वापस दलमा के जंगल में प्रवेश कर गया है. इसको देखते हुए वन विभाग ने ग्रामीणों को सावधान बरतने की अपील की है.डीएफओ सबा आलम अंसारी ने बताया कि जनता को सतर्क कर दिया गया है. पटमदा क्षेत्र में कुछ लोगों ने बाघ के पंजे के निशान देखे हैं. इसकी पुष्टि की गयी है. वह फिर से जंगल की ओर चला गया है. सतर्क रहना है, पर दहशत की स्थिति नहीं है.
गांव में अपने जानवर घर में बांधकर रख रहे ग्रामीण
मंगलवार को मिर्गीटांड़ गांव में अधिकांश ग्रामीण बैलों को बांध कर रखे थे. ग्रामीण हाथ में डंडा लेकर आते जाते देखे गये. हालांकि ग्रामीणों ने कहा कि बाघ यहां नहीं देखा गया है. नही पदचिन्ह मिले हैं. पहले एक बाग इस गांव के गाड़ूपानी टोला में बाघ आया था उसके बाद पता नहीं चला.
झाटीझरना उउवि में बच्चों की उपस्थित अपेक्षा कृत पहले से कम हो रही है.उउवि झाटीझरना के शिक्षक डॉ कमर अली ने कांटाबनी और माकुली गांव जाकर वहां के छात्र छात्रों को समझाया कि फिलहाल हमारे क्षेत्र से बाघ दूर चला गया है. इसलिए सतर्क रहे लेकिन ज्यादा दहशत में ना रहे. बल्कि प्रतिदिन विद्यालय आये. पर बच्चे और उनके अभिभावक सावधानी बरते रहे हैं. बच्चों को जंगल रास्ते से अकेले स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं. शिक्षक के अनुसार माकुली और डाइनमारी गांव के कई बच्चे स्कूल नहीं आ रहे. उक्त गांव से जंगल रास्ते होकर स्कूल जाना पड़ता है.