झारखण्ड मानवाधिकार सम्मेलन की ओर से संविधान दिवस का अयोजन भुइयाडीह मे किया गया, जहां बाबा साहेब की तस्वीर पर माल्यार्पण करने के बाद संविधान की रक्षा का संकल्प लिया गया |
इस विषय पर बोलते हुए संगठन के प्रमुख मनोज मिश्रा ने कहा कि बिना संविधान के आजाद भारत में जीवन की कल्पना करना असंभव है। | उन्होने कहा कि जब-जब देश घने अंधेरे से गुजरा है संविधान ने मंजिल की रोशनी दिखाई। उन्होने बताया कि आज संविधान के संस्थापक बाबा साहब डाक्टर भीमराव अंबेडकर की जन्म जयंती है, हम सभी संविधान दिवस के रूप मे मनाते है | उन्होने कहा सदियों से गुलामी की बेड़ियों से निकलने के बाद टूटे देश को संविधान ने एक संबल दिया। वहीं इसमें दिए मौलिक अधिकार हमारी ढाल बनकर हमें हमारा हक दिलाते हैं। उन्होने सभी नागरिकों से संविधान की रक्षा करने की अपील की है |
कार्यक्रम मे वक्ताओ ने बताया कि भारत का संविधान संविधान दुनियाभर के 60 लोकतांत्रिक देशों के संविधान का मिश्रण है। इसे तैयार करने में करीब 2 साल 11 महीने 18 दिन का समय लगा था। वहीं अंतिम रूप देने से पहले इसमें 2000 से अधिक संशोधन किए गए थे। संविधान सभा का गठन जुलाई 1946 में किया गया। संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे, जिसमें महिला सदस्यों की कुल संख्या 12 थी। संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को 26 नवंबर 1946 को विधिवत रूप से अपनाया था। वहीं 26 जनवरी 1950 को इसे पूर्ण रूप से लागू किया गया था।
आज के कार्यक्रम मे मनोज मिश्रा के साथ सलावत महतो, रेणु दिवस, अनिमा दास, ऋषि गुप्ता, देवाशीष दास, गुरूमुख सिंह, अभिजीत चंदा वंदना मोदक, रूचि वंशल, सावित्री देवी सहित काफ़ी सदस्य उपस्थित थे