Ranchi. तमाड़ स्थित दिउड़ी गांव के ग्रामीण रविवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलने उनके आवास पर पहुंचे. हालांकि, मुख्यमंत्री से ग्रामीणों की मुलाकात नहीं हो पायी. ग्रामीणों ने कहा कि वे सोमवार को फिर मुख्यमंत्री से मिलने आयेंगे. ग्रामीणों ने कहा कि वे मुख्यमंत्री के समक्ष दिउड़ी मंदिर से संबंधित अपनी बातें रखना चाहते हैं. दिउड़ी के मामले को धार्मिक विवाद बताया जा रहा है, जो सही नहीं है. ग्रामीणों ने कहा कि दिउड़ी ग्राम खूंटकट्टी है और यह मुंडा आदिवासियों का क्षेत्र है. दिउड़ी मंदिर के 13 सदस्यीय ट्रस्ट में सिर्फ चार लोगों के हस्ताक्षर हैं.
यह ट्रस्ट भी फर्जी है, जिसे प्रशासन के सहयोग से बनाया गया है. ट्रस्ट के माध्यम से वहां पर स्थानीय आदिवासियों को हाशिये पर डालकर दूसरे लोगों का वर्चस्व स्थापित करने का प्रयास किया गया है. यह मामला दिउड़ी की आदिवासी जमीन को फर्जी तरीके से वहां के पंडा को हस्तांतरित करने का भी है. दिउड़ी की जमीन सीएस सर्वे में वहां के मुंडा आदिवासियों के नाम पर है, जबकि आरएस सर्वे में पंडा के नाम दर्ज है. ग्रामीणों ने कहा कि सीएस सर्वे 1906 में और आरएस सर्वे 1932 में हुआ था.
जब सीएनटी एक्ट 1908 में लागू हो गया था, तो कैसे आदिवासी जमीन पंडा के नाम पर दर्ज हो गयी. यह विवाद लंबे समय से है, पर इसका समाधान नहीं निकाला जा रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि वे इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग और न्याय के लिए मुख्यमंत्री से मिलने आये हैं. मौके पर मदन मुंडा, सिदाम मुंडा, सरवन मुंडा, मंगल मुंडा, मंगरी देवी व मंगली मुंडा सहित आदिवासी समन्वय समिति के लक्ष्मीनारायण मुंडा, आदिवासी महिला समिति की बाला सांगा आदि थे