राष्ट्रपति चुनाव बाद झारखंड की राजनीतिक समीकरण और आबोहवा बदलने वाली है?
झारखंड की राजनीति में रह-रह कर राजनीतिक हिलोरें मारने लगती है। कई तरह की चर्चाएं होने लगती है ,अंदर खानों से आ रही ऐसी खबरें कि झारखंड की राजनीतिक समीकरण और आबोहवा राष्ट्रपति चुनाव के बाद बदल सकती है।
झारखंड की वर्तमान सरकार में जेएमएम और कांग्रेस के बीच तल्ख टिप्पणी रह-रह कर यदा-कदा होते रहते है। रह-रह कर, कांग्रेसी एवं कांग्रेस के विधायक एवं मंत्री सरकार पर ही हमलावर हो जाते है। जिस तरह से राष्ट्रपति चुनाव के समर्थन के लिए दो ध्रुव अर्जुन मुंडा और हेमंत सोरेन मुस्कुराते हुए मिले, उससे झारखंड के राजनीतिक गलियारे में कई कयास लगाए जा रहे हैं। भाजपा विपक्ष का नामोनिशान मिटा देना चाह रही है। भाजपा आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले ही कांग्रेस को सियासी मैदान में जर्जर और नेस्तनाबूद विपक्ष के तौर पर रखने की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने राज्यों के प्रभारी महासचिव और राज्य इकाई को अलग टीम बनाकर इस पर काम करने के लिए कहा है। योजना पर उन राज्यों में भी काम हो रहा है, जहां हाल में चुनाव निपटे हैं। भाजपा का मानना है कि किसी भी राज्य में कांग्रेस विधायक टूटते हैं तो संदेश देशभर में जाएगाl सूत्र बताते हैं कि झारखंड कांग्रेस के लगभग एक दर्जन विधायक भाजपा के संपर्क में है l अब देखना है कि कांग्रेस, झारखंड में अपने विधायकों को टूट से बचा पाती है अथवा नहीं l गोवा इसका ताजा उदाहरण है, यहां 40सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 20 और कांग्रेस के 11 विधायक हैं।भाजपा के गोवा प्रभारी सीटी रवि ने प्रदेश कार्यकारिणी में दो टूक कहा था कि पार्टी आलाकमान जिस दिन हरी झंडी देगा, भाजपा विधायक बढ़कर 30 हो जाएंगे। यानी 10 कांग्रेसी विधायक तोड़ने की दिशा में भाजपा होमवर्क कर चुकी है। सूत्रों का कहना है कि संसदीय बोर्ड की बैठक में तय हुआ था कि जिन राज्यों में भी चुनाव हैं, वहां चुनाव पूर्व ऐसा माहौल बने जिससे विपक्ष मुकाबले में दूर-दूर तक नहीं दिखे।इसीलिए पार्टी नेता गोवा,बिहार, झारखंड, हरियाणा,महाराष्ट्र,कर्नाटक में सक्रिय हो चुके हैं। झारखंड के राजनीतिक गलियारों में खुलकर यह चर्चाएं होने लगी है कि राष्ट्रपति चुनाव बाद झारखंड की राजनीतिक समीकरण और राजनीतिक आबोहवा बदल सकती है।
ए के मिश्र
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