स्मृति शेष: किशोर कुणाल
PATNA. बिहार की राजधानी पटना से दुखद खबर सामने आई है. अयोध्या अमावा मंदिर के सदस्य किशोर कुणाल का निधन हो गया है. किशोर कुणाल का हृदय गति रुकने से निधन हुआ है. किशोर कुणाल को आज सुबह कार्डियक अरेस्ट हुआ और उन्हें तुरंत महावीर वत्सला अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका निधन हो गया.
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने अपनी श्रद्धांजलि में कहा कि यह घटना धर्म क्षेत्र की बहुत बड़ी क्षति है. श्री अयोध्या जी के महंत श्री जयराम दास जी कहते हैं कि अभी कल ही किशोर जी से 15 मिनट तक बात हुई थी. सब ठीक था. कोई परेशानी नहीं थी. आज यह सूचना आई, विश्वास भी नहीं हो रहा. यह सर्वविदित है कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निकट अमावा मंदिर में कई वर्ष से जो निःशुल्क भोजन प्रसाद की व्यवस्था चल रही है, वह पटना के महावीर मंदिर ट्रस्ट से ही जुड़ी है जिसकी व्यवस्था कुणाल किशोर देखते थे.
बिहार राज्य से भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी थे. अपने पुलिस करियर के दौरान, उन्हें अयोध्या विवाद पर विश्व हिंदू परिषद और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के बीच मध्यस्थता करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह द्वारा विशेष कार्य अधिकारी (अयोध्या) के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्होंने चंद्रशेखर और पीवी नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्रित्व काल के दौरान इस पद पर काम करना जारी रखा किंतु विचारधारा की विसंगति के कारण बात बन नहीं पाई.
किशोर कुणाल का जन्म 10 अगस्त 1950 को एक भूमिहार ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनकी स्कूली शिक्षा मुजफ्फरपुर जिले के बरुराज गाँव में हुई . फिर उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में इतिहास और संस्कृत का अध्ययन किया, 1970 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. बाद में, अपने करियर के मध्य में, उन्होंने मास्टर डिग्री के लिए भी अध्ययन किया, जिसे उन्होंने 1983 में प्राप्त किया. उनके शिक्षकों में इतिहासकार आरएस शर्मा और डीएन झा शामिल थे .
1972 में कुणाल गुजरात कैडर में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी बन गए. उनकी पहली पोस्टिंग आनंद में पुलिस अधीक्षक के रूप में हुई. 1978 तक वे अहमदाबाद के पुलिस उपायुक्त बन गए. 1983 में अपने मास्टर की पढ़ाई पूरी करने के बाद कुणाल को पटना में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया गया. चर्चित बॉबी हत्याकांड उनके जीवन का एक ऐसा मोड़ था जहां से उनकी दिशा बदल गई. 2001 में कुणाल ने स्वेच्छा से भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया. सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. कुणाल महावीर मंदिर ट्रस्ट, पटना के सचिव भी रहे और इससे पहले महावीर आरोग्य संस्थान के सचिव थे, जिसमें वे गरीबों के लिए स्वास्थ्य सेवा में सुधार से जुड़े थे. उन्होंने पटना में ज्ञान निकेतन स्कूल की भी स्थापना की.
अयोध्या विवाद
वीपी सिंह की सरकार ने अयोध्या विवाद को संभालने के लिए गृह राज्य मंत्री के नेतृत्व में 1990 में एक ‘अयोध्या सेल’ की स्थापना की. कुणाल को इसके कामकाज में सहायता के लिए ‘विशेष कर्तव्य पर अधिकारी’ नियुक्त किया गया था. यह सेल चंद्रशेखर की सरकार (नवंबर 1990-मार्च 1991) के तहत जारी रहा, उस दौरान राजीव गांधी ने सुझाव दिया कि अयोध्या मुद्दे को तय करने के लिए ऐतिहासिक और पुरातात्विक साक्ष्यों को ध्यान में रखा जाना चाहिए. विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी (बीएमएसी) के प्रतिनिधियों ने अयोध्या सेल के बैनर तले मुलाकात की, और अपने-अपने सबूतों का आदान-प्रदान करने का फैसला किया. कुणाल ने कहा कि उन्होंने प्रस्तुत साक्ष्य को भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) के अध्यक्ष , भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक और अभिलेखागार के महानिदेशक को सत्यापन और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भेज दिया . बीएमएसी द्वारा नामित चार प्रमुख इतिहासकारों, आरएस शर्मा , सूरजभान, एम. अतहर अली और डीएन झा ने वीएचपी के साक्ष्य की जांच के लिए छह सप्ताह का समय मांगा. वीएचपी इस मांग से सहमत नहीं हुई. इसके बाद वार्ता समाप्त हो गई. कुणाल ने बाद में पक्षों द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों और अन्य साक्ष्यों का अपना विश्लेषण प्रकाशित किया, जिसे उन्होंने स्वयं खोजा, जिसका शीर्षक अयोध्या रिविजिटेड था . हालांकि कुणाल जी के अयोध्या प्रमाण में अनेक विसंगतियां हैं जिन्हें स्वीकार नहीं किया गया.
सामाजिक सेवा
कुणाल किशोर पटना के महावीर मंदिर के सचिव थे. उनके सचिव रहते महावीर मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य 30 अक्टूबर 1983 को शुरू हुआ और इसका उद्घाटन 4 मार्च 1985 को हुआ. राज्यपाल आरएस गवई ने कहा था कि महावीर मंदिर एक आदर्श धार्मिक ट्रस्ट है और देश के अन्य ट्रस्टों को भी इसका अनुकरण करना चाहिए. महावीर ट्रस्ट ने बाद में महावीर कैंसर संस्थान की स्थापना की. समिति कंकरबाग में महावीर आरोग्य संस्थान नामक एक अन्य अस्पताल भी चलाती है और इसके परिसर में महावीर नेत्रालय की स्थापना की गई है जो आंखों की समस्याओं से पीड़ित लोगों की जरूरतों को पूरा करता है. मंदिर ने पहले ही चार बड़े अस्पताल स्थापित किए हैं और जरूरतमंद लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है.
मुंडेश्वरी भवानी मंदिर
वह गुप्त युग (343 ई.) से संबंधित और कैमूर पहाड़ियों में स्थित पूर्वी क्षेत्र में ‘सबसे पुराना’ जीवित मंदिर मुंडेश्वरी भवानी मंदिर के उत्थान में शामिल हैं. मंदिर स्थल को वैष्णो देवी मंदिर की तरह एक पूर्ण तीर्थस्थल के रूप में भी विकसित किया गया है , जिसमें शयनगृह, विश्राम कक्ष, रसोई और कुशल परिवहन प्रणाली जैसी कई सुविधाएँ हैं. मंदिर की विकास योजनाओं के हिस्से के रूप में, ढाई एकड़ में एक ‘विवाह’ मंडप का निर्माण हुआ है. वह ‘महिमा मुंडेश्वरी मां की’ नामक एक ऐतिहासिक उपन्यास लिख रहे थे. हाल ही में, उनके द्वारा लिखित 185 पृष्ठों की एक पुस्तक ‘मुंडेश्वरी मंदिर: देश का सबसे पुराना अभिलेखित मंदिर’ का विमोचन किया गया था.
विराट रामायण मंदिर
बिहार महावीर मंदिर ट्रस्ट (बीएमएमटी) के सचिव के रूप में उनके नेतृत्व में, उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े मंदिर के निर्माण का बीड़ा उठाया . उन्होंने कहा था “वे बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में कंबोडिया में 12वीं सदी के अंगकोर वाट मंदिर से भी बड़ा मंदिर बनाएंगे.”
पुरस्कार
2008 में उन्हें समुदाय और सामाजिक सेवाओं में उनके योगदान के लिए भगवान महावीर पुरस्कार मिला. भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा कुणाल को प्रदान किया गया यह पुरस्कार भगवान महावीर फाउंडेशन, चेन्नई द्वारा स्थापित किया गया . आचार्य कुणाल यह पुरस्कार पाने वाले बिहार – झारखंड के पहले व्यक्ति थे . उनका चयन भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री एमएन वेंकटचलैया की अध्यक्षता वाली जूरी द्वारा किया गया था .
अयोध्या पुनरीक्षित
अपने 800 पन्नों की इस किताब में कुणाल ने ऐतिहासिक दस्तावेजों का विश्लेषण करके यह निष्कर्ष निकाला है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण बाबर ने नहीं बल्कि बादशाह औरंगजेब ने करवाया था . उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सर्वेक्षक फ्रांसिस बुकानन को गलत तरीके से बाबर को श्रेय देने के लिए दोषी ठहराया है. कुणाल ने यह भी कहा है कि विवादित स्थल पर एक राम मंदिर था जिसे 1660 ई. में औरंगजेब के गवर्नर फेदाई खान ने ध्वस्त कर दिया था.
कई संगठनों से जुड़े थे कुणाल किशोर
बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष और पटना के चर्चित महावीर मन्दिर न्यास के सचिव थे. महावीर मंदिर न्यास बोर्ड पटना में कई स्कूल और कैंसर अस्पताल का संचालन करता है.
किशोर कुणाल राजधानी पटना में ज्ञान निकेतन जैसे चर्चित स्कूल के संस्थापक भी हैं. जब देश में वीपी सिंह की सरकार थी तो उस वक्त आचार्य किशोर कुणाल केंद्र सरकार, विश्व हिंदू परिषद् और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के बीच मध्यस्थता के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त किए गए थे.
किशोर कुणाल का जन्म 10 अगस्त 1950 को हुआ था. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मुजफ्फरपुर जिले के बरुराज गांव से की. उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से इतिहास और संस्कृत में ग्रेजुएशन किया. वे 1972 में गुजरात कैडर से भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी बने और पुलिस अधीक्षक पद पर तैनात हुए. वहां से वे 1978 में अहमदाबाद के पुलिस उपायुक्त बने. वह संस्कृत अध्येता भी थे.
किशोर कुणाल को 1983 में प्रोमोशन मिला और वे वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर पटना में तैनात हुए. कुणाल ने 1990 से 1994 तक गृह मंत्रालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी के पद पर काम किया. एक आईपीएस अधिकारी के रूप में कुणाल पहले से ही धार्मिक कार्यों में शामिल थे. इसके बाद साल 2000 में पुलिस से रिटायर होने के बाद उन्होंने केएसडी संस्कृत यूनिवर्सिटी दरभंगा के कुलपति का पद संभाला. 2004 तक वे इस पद पर रहे और बाद में वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड (बीएसबीआरटी) के प्रशासक बने और प्रचलित जातिवादी धार्मिक प्रथाओं में सुधार की शुरुआत की.
कुणाल किशोर जैसे धर्म सेवक को विनम्र श्रद्धांजलि.
संजय तिवारी की रिपोर्ट : साभार