महिला पत्रकार ने राज्यपाल से लगाई न्याय दिलाने की गुहार,सीडीपीओ और आमदा ओपी प्रभारी की भूमिका की जांच की मांग
सरायकेला- खरसावां जिले की एक महिला पत्रकार पर आमदा ओपी में झूठा मुकदमा दर्ज किया गया है. वैसे इस मुकदमे के पीछे सरायकेला पुलिस की बड़ी भूमिका सामने आ रही है. बताया जाता है कि महिला पत्रकार की मां आंगनबाड़ी सेविका है और सीडीपीओ दुर्गेश नंदिनी के साथ पिछले कुछ दिनों से कमीशन को लेकर खींचतान चल रहा है. दुर्गेश नंदिनी ने कई बार आंगनबाड़ी सेविका की शिकायत वरीय अधिकारियों को करने की धमकी दी है. जब महिला पत्रकार सुकांति साहू, दुर्गेश नंदिनी से अपने पारिवारिक परिस्थिति का हवाला देते हुए अपनी मां को प्रताड़ित नहीं किए जाने का अनुरोध किया तो दुर्गेश नंदिनी ने इसे प्रतिष्ठा पर लेते हुए महिला पत्रकार एवं उसकी मां पर कई गंभीर आरोप लगाना शुरू कर दिया. सुकांति का चचेरा भाई सुनील साहू अपराधिक प्रवृत्ति का है और पूर्व में भी जेल जा चुका है. जेल से निकलने के बाद सुकांति के परिवार को फिर से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. सुकांति ने जब इसकी शिकायत आमदा में कराई तो आमदा ओपी पुलिस ने उल्टे सुकांति की मां पर डायन होने का शिकायत दूसरे पक्ष से दर्ज कर दिया और सुकांति पर अपने अपराधी चचेरे भाई से सुलह कराने का दबाव बनाना शुरू कर दिया. हालांकि इस मामले में वरीय पदाधिकारियों ने जांच कर कार्रवाई किए जाने का भरोसा जरूर दिलाया है, लेकिन अब तक सुकांति इंसाफ के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही है. जिले के तमाम पुलिस पदाधिकारियों से लेकर राज्य की राज्यपाल तक सुकांति ने न्याय की फरियाद लगाई है. बतौर सुकांति वह अपने मां और छोटे भाई को लेकर दिन भर सरायकेला की सड़कों पर भटकती रहती है, रात को घर में ही परिवार सहित बंद हो जाती है. यहां तक की शौच लगने पर भी वे बाहर नहीं निकलती है. ऐसे में पत्रकार सुरक्षा की बात करने वाली झारखंड सरकार और सरायकेला प्रशासन पर कितना भरोसा किया जाए यह अहम सवाल है. वैसे सरायकेला जिला के लिए यह कोई पहला मौका नहीं है. इससे पूर्व भी जिले के कई पत्रकारों पर झूठा मुकदमा दर्ज किया जा चुका है. सीडीपीओ दुर्गेश नंदिनी एवं आमदा ओपी पुलिस की भूमिका की जांच होनी चाहिए.
एके मिश्र
महिला पत्रकार ने राज्यपाल से लगाई न्याय दिलाने की गुहार,सीडीपीओ और आमदा ओपी प्रभारी की भूमिका की जांच की मांग
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