रांची. हाल ही संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 14 में से नौ सीटों पर जीत दर्ज की थी. 52 विधानसभा में भाजपा को बढ़त भी मिली, लेकिन राज्य की पांचों आदिवासी सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा. इसी को ध्यान में रख कर भाजपा के सह प्रभारी हिमंता विश्वा सरमा ने जनजाति नेताओं से मुलाकात कर उनका फीडबैक लिया.
विधानसभा चुनाव से पहले आदिवासियों के बीच पैठ बनाने को लेकर प्रदेश भाजपा रणनीति बनाने में जुट गयी है. इसको लेकर विधानसभा चुनाव के सह प्रभारी व असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्वा सरमा ने शनिवार को पार्टी के प्रमुख जनजाति नेताओं से मुलाकात की.
इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व सांसद गीता कोड़ा, पूर्व विधायक सीता सोरेन, भाजपा एसटी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समीर उरांव, पूर्व मंत्री सुदर्शन भगत व पूर्व आइपीएस अरुण उरांव शामिल हैं.
श्री सरमा ने इनसे जानना चाहा कि कहां चूक रही कि पार्टी लोकसभा में एसटी सीटों पर पिछड़ गयी. लोकसभा चुनाव लड़नेवाले प्रत्याशी अर्जुन मुंडा, गीता कोड़ा, सीता सोरेन व समीर उरांव से अलग बात कर इनका अनुभव जाना.
साथ ही विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति के आरक्षित सीटों पर बेहतर प्रदर्शन करने के लिए इनका सुझाव लिया. पूछा कि किन मुद्दों के साथ पार्टी आदिवासियों के साथ सीधा जुड़ सकती है.
नेताओं की ओर से बताया कि आदिवासी समुदाय के कोर इश्यू पर फिर से विचार करने की जरूरत है. केंद्र सरकार की ओर से जनजाति समुदाय के लिए बहुत काम हुए हैं. लेकिन इसके साथ भावनात्मक जुड़ाव जरूरी है. पिछले लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के लोगों ने रणनीति के तहत गलत नैरेटिव सेट कर आदिवासियों के साथ जुड़ने का काम किया. इन्हें बरगलाया. उन सभी मुद्दों को उठाने का काम किया जो आदिवासी समाज सुनना चाहता है. ऐसे में अब भाजपा को आदिवासियों के कोर इश्यू के साथ जुड़ कर इंडिया गठबंधन के गलत नैरेटिव के बारे में आदिवासी समुदाय को अवगत कराने की जरूरत है.
कुमार मनीष,9852225588