- ” इंजीनियर बनाने के नाम पर झूठ और धोखाधड़ी के सहारे चलायी जा रही दुकानें विनाशकारी?
सरकार की बहुत सी योजनाएं ऐसी होती हैं जिनको सरकार बहुत बढ़ावा देना चाहती है उन्ही योजनाओं के तहत सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में बढ़ावा देने का मन बनाया, जिसको पूरा करने के लिए सरकार ने प्राइवेट सेक्टर को बहुत सी रियायतें देने का ऐलान कियाl जैसे-सस्ते में जमीन,बिजली,पानी में रियायत, बैंक लोन इत्यादिl
डिग्री प्राप्त बेरोजगार युवकों का कहना है कि इन सब रियायतों के लालच में आकर कुछ व्यापारी वर्ग के लोग मलाई खाने के लिए आगे आ गएl इनका शिक्षा के बारे में दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है, अतः ये अयोग्य छात्रों का झुकाव इस तरफ लाकर हर वर्ष लाखों इंजीनियरिंग ग्रैजुएट्स को प्रमाण-पत्र बांट रहे हैं और लाखों की संख्या में बेरोजगारों की टीम खड़ी कर दे रहे हैंl
शिक्षा में गुणवत्ता की कमी के चलते बच्चों को नौकरी नहीं मिल रही है,झूठ और धोखाधड़ी के सहारे दुकान चलाने वालों का यह कदम काफी विनाशकारी है,यह व्यापार बनकर रह गया हैl बताते चलें कि इसके लिए निजी इंजीनियरिंग संस्थानों के साथ-साथ अभिभावक भी कम जिम्मेदार नहीं हैl
यहां लोगों को भ्रम है कि इंजीनियर बनने के बाद लाइफ सेटल हो जाएगी, लोगों की ऐसी सोच है कि इंजीनियरिंग करके इंसान कुछ न कुछ कर ही लेगा जैसा कि आजकल हो रहा हैl बच्चे पहले इंजीनियरिंग करते हैं उसके बाद तय करते हैं कि आगे क्या करना है,इसी सोच का फायदा निजी इंजीनियरिंग संस्थान उठाते हैंl ये संस्थान अभिभावकों की खोखली अभिलाषा का भरपूर लाभ उठाते हैंl
भारत में हर वर्ष 15 लाख इंजीनियर बनते हैं,मगर नास्कोम के 2019 के एक सर्वे के मुताबिक इनमें से सिर्फ 2.5 लाख ही कोर इंजीनियरिंग सेक्टर में नौकरी पाने में कामयाब होते हैंl इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2022 के मुताबिक भारत के इंजीनियर्स में 55.15%ही रोजगार पाने लायक यानि एम्प्लोयीबल हैं,यानि करीब 45% इंजीनियरिंग ग्रैजुएट्स के पास नौकरी पाने लायक स्किल्स नहीं हैl
इस सबके बावजूद इंजीनियरिंग का क्रेज कम नहीं हो रहा है, दूसरी तरफ AICTE से अप्रूव्ड इंजीनियरिंग संस्थानों की संख्या हर वर्ष बढ़ती ही जा रही है, इनमें निजी संस्थानों की संख्या काफी ज्यादा हैl निजी संस्थान प्लेसमेंट का वादा तो करते हैं मगर सत्र खत्म होते-होते कोई ना कोई परेशानी बता कर पल्ला झाड़ लेते हैंl
आईआईटी,एनआईटी और कुछ अन्य कॉलेजों को छोड़ बाकी जगह पढ़ाई का स्तर बहुत खराब है, ISR 2022 के मुताबिक कंपनियां जिस तरह के स्किल्स इंजीनियरिंग ग्रैजुएट्स ढूंढ रही हैं वह अभी उस स्तर पर नहीं है,मुख्यतया निजी इंजीनियरिंग कालेजों में सुधार की काफी गुंजाइश हैl
पुनश्च :-AICTE इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने का प्रमाण-पत्र देता है,लिहाजा उसे समय-समय पर निजी इंजीनियरिंग कालेजों की गुणवत्ता की जांच करनी चाहिएl इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने वाले सक्षम शिक्षकों की उपलब्धता सहित लाइब्रेरी एवं उच्च कोटि की प्रयोगशालाओं की अनिवार्यता सुनिश्चित करनी चाहिएl सुधार के लिए एक समयावधि तय होनी चाहिएl निर्धारित समयावधि के बाद अगर वह गुणवत्ता में सुधार नहीं करते तो उनका लाइसेंस निरस्त कर देना चाहिएl
अरविन्द